Sunday, June 17, 2007

A tribute to my Love

प्रीत का क्षण अमोल है पैसे मे नहीं तुलता,
रहता है चहुँ और पर सबको नहीं मिलता
----------------------------------------------------------------------------------

वो अब दिल को भाने लगे हैं, हर वक्त याद आने लगे हैं ।
इकरार की उनसे है उम्मीद, मौसम सुहाने आने लगे हैं ।

माझी के ज़ख्म डराने लगे हैं, ज़फ़ा की याद दिलाने लगे हैं।
पढ ना लें कहीं वो चेहरा, हम उनसे नज़रे चुराने लगे हैं ।
--------------------------------------------------------------------------------

उसको बताऊँ या खुद से छुपाऊँ उलझन में हूँ,
समाज से लढूँ या अहसास दबाऊँ उलझन मे हूँ ।
--------------------------------------------------------------------------------

हलका हो गया भार दिल का, निकल गया गुबार दिल का,
ज़ुबान पे आ गई बात सारी , हो गया ज़ाहिर करार दिल का ।

--------------------------------------------------------------------------------

मेरे अहसास का इल्म था उन्हे, गुमान था की एक दिन हिज़ाब जाएगा,
वो मेरे इकरार का इंतेज़ार करते रहे, और मैं समझता रहा की उनका जवाब आएगा।

---------------------------------------------------------------------------------

मेरी मोहब्बत का ये सिला दिया उसने,
अपने महबूब से मिला दिया उसने ।
हँसकर शामिल हो गये खुशी में उसकी,
क्या हुआ जो ग़म घूँट का पिला दिया उसने ।
---------------------------------------------------------------------------------

कहतें है वो कि हम उनके काबिल नहीं, ये उनसे पूछिये हम जिन्हें हासिल नहीं ।
शरमातें हैं वो हमें दोस्त कहने में, और रोते हैं वो हम जिनमे शामिल नहीं ।

----------------------------------------------------------------------------------
तेरी दोस्ती से प्यार है मुझे, पर नफ़रत है हार से मुझे ।
क्या दोस्त साथी नहीं होते,यह ख्याल खाता है बार बार मुझे ।

---------------------------------------------------------------------------------
तू रहे खुशहाल सदा , बनाम तेरे मेरी कज़ा मांगू,
साया ना पडे कभी मेरा, तुझसे बिछडने की दुआँ मांगू ।

No comments: