आसान नहीं यूं तुमसे जुदा होना
कब तलक गैरों से दो चार होना ॥
महफ़िल में होता है आसान मगर
दुशवार है तन्हाई मे न बेकरार होना ॥
अपनी मर्जी से होतें नहीं है फ़ैसले
वरना कौन चाहेगा गम-ए-यार होना ॥
जिस्म दूर हैं हमारे तो क्या गम है
चाहत है दिल का नज़दीक तर होना ॥