Sunday, June 17, 2007

मैं और मेरी प्रीत : Me and My Love

कल तुम्हे कोई मिल जायेगा,
कल मैं किसी का हो जाऊँगा,
जो है हमारे पास वो आज है ।

क्यों शिकायत में,
क्यों हिदायत में,
क्यों शरारत में इसे बर्बाद करें
क्यों उम्मीद करें एक दूजे से ,
क्यों खुद को नाराज़ करें ।

ना समाज से डरें , ना वक्त कि पर्वाह करें ,
जो दिल कहें वो कहें, जो दिल करे वो करें ।

तुम्हे हक़ है मुझे सताने का जब तुम्हें याद आए,
मैं तुम्हे याद करूँगा जब तन्हाई सताये ।

मैं बताऊँ तुम्हे अपने हर राज़ दिल के,
तुम अपनी मन की किताब खोल देना,
आ मिलके सिखाऐं दुनियॉ को दोस्त बन के जीना ।

ना किस्मत से लडेंगे, ना समाज से झगडेंगे,
वक्त आयेगा तो खुशी से बिछ्डेंगे
वक्त आयेगा तो खुशी से बिछ्डेंगे ।।

1 comment:

Unknown said...

u have provided a very bold thought...contrast of societal perceptions are woven well...will remember them for long...