Friday, June 29, 2007

Ghazal No. 9

खुदा चाहे तो बाट दे तुकडों मे मुझे,
नहीं बाट सकता हूँ तुझे किसी और से ।


प्यार मे तुमने शहीद हज़ार देखे होंगे,
देखलो मुझे भी ज़रा गौर से ।


तल्खी-ए-ज़िस्त से घबरा कर आशिक नही जीते,
हौसले से लडते है हर दौर से ।

कोशिश हज़ार की ज़माने ने मगर,
ना टुटा एतबार, दयार-ए-जौर से ।

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