बहुत हुआ विशलेषण,बहुत हुई तैयारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
मौत दो उसे भयानक जो भ्रष्टाचारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
मधुर स्वप्न से बाहर निकलो, छोड़ो जो लाचारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
अन्याय के विरुद्ध शस्त्र उठाना अब यही देहारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
हर पुत्र बने भगत सिंह यही आस हमारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
स्वयं को करें देश अर्पण धन स्वप्न बिमारी है
उठो भारत के पूत उठो ,अब करने की बारी है ॥
Wednesday, May 29, 2013
Thursday, May 23, 2013
Ghazal
विचारों की कोई भाषा नही होती
बहुत हैं यहाँ जो अशार नहीं जानते ॥
उनसे वफ़ा की नहीं उम्मीद
जो ऐतबार नही जानते ॥
नही आता उन्हें जीत का मज़ा
जो तजुर्बा -ए -हार नहीं जानते ॥
अज़ाब -ए-मुफलिसी उन्हें क्या समझायें
जो जान-ए-ज़ार नहीं जानते ॥
चंद लोग ही ज़िंदा बचे हैं यहाँ "भरत"
जो रिश्तों का कारोबार नही जानते ॥
बहुत हैं यहाँ जो अशार नहीं जानते ॥
उनसे वफ़ा की नहीं उम्मीद
जो ऐतबार नही जानते ॥
नही आता उन्हें जीत का मज़ा
जो तजुर्बा -ए -हार नहीं जानते ॥
अज़ाब -ए-मुफलिसी उन्हें क्या समझायें
जो जान-ए-ज़ार नहीं जानते ॥
चंद लोग ही ज़िंदा बचे हैं यहाँ "भरत"
जो रिश्तों का कारोबार नही जानते ॥
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