अजीब खेल है जीवन !!!!
कईं प्रतियोगी है, कईं इनाम
कोई पहला, कोई आखिरी नही
कब शुरु, कब समाप्त कोई पता नही
मगर सब दौड़ रहे हैं.
अजीब खेल है जीवन !!!
न खेल भावना,न कोई नियम
कोई धीरे, कोई तेज़
कोई पैदल,कोई गाड़ी पर
न जीतना निश्चित,न हारना तय
मगर सब दौड़ रहे हैं.
अजीब खेल है जीवन !!!
कोई आधे मे ही जीत जाता है,
कोई अंत पहुंचकर भी हार जाता है
कभी हार के भी नाम है
कभी जीत के भी कुछ नही
मगर सब दौड़ रहे हैं.
अजीब खेल है जीवन !!!