Wednesday, August 14, 2013

Ghazal

कईं दिनों तक उनका दीदार नही होता
यूं ही आशिक बीमार नही होता ॥

नहीं ईल्म उन्हें ग़म-ए -गर्दिश -ए -अय्याम का
सियासत में कोई ना दार नही होता ॥

एक मौके की तलाश में ता-उम्र भटकते रहे
वर्ना हमसे बेहतर कोई अदाकार नहीं होता ॥

वो हमसे पूछ्ते हैं क्या रफ्त है दोनों में
गर चाय नहीं होती तो अखबार नही होता ॥