कईं दिनों तक उनका दीदार नही होता
यूं ही आशिक बीमार नही होता ॥
नहीं ईल्म उन्हें ग़म-ए -गर्दिश -ए -अय्याम का
सियासत में कोई ना दार नही होता ॥
एक मौके की तलाश में ता-उम्र भटकते रहे
वर्ना हमसे बेहतर कोई अदाकार नहीं होता ॥
वो हमसे पूछ्ते हैं क्या रफ्त है दोनों में
गर चाय नहीं होती तो अखबार नही होता ॥
यूं ही आशिक बीमार नही होता ॥
नहीं ईल्म उन्हें ग़म-ए -गर्दिश -ए -अय्याम का
सियासत में कोई ना दार नही होता ॥
एक मौके की तलाश में ता-उम्र भटकते रहे
वर्ना हमसे बेहतर कोई अदाकार नहीं होता ॥
वो हमसे पूछ्ते हैं क्या रफ्त है दोनों में
गर चाय नहीं होती तो अखबार नही होता ॥