लक्ष्मी और सरस्वती सौतेली बहनें हैं.
कद और उंचाई एक दूसरे क पर्याय नही होते.
जीवन का मौत से कोई सबंध नही होता.
कुत्ता इंसान से भी वफ़ादारी करता है.
यथार्थ और भ्रम समज का फेर है.
कोइ भी सम्बन्ध स्थायी नही रहता.
सच आवश्यक्ता अनुसार बदलता है.
पर झूठ स्थायी होता है.
Friday, September 29, 2006
Sunday, September 24, 2006
विस्तार
काम की राह पर,कब तक चलोगे,
रती के मोह मे ,कब तक बहोगे.
स्पर्श से बढ़ी भी अनुभूति है,
एक ही अहसास पर कब तक जियोगे.
वक्ष और योनि से हटकर देखो
स्त्री मे अंग से परे भी कुछ है,
विस्त्रत करो सीमायें आंखो की,
दिशा बोध से कब तक वन्चित रहोगे.
तन से शुरु और तन पे समाप्त,
हर विचार कि इतनी हि परिधि है,
फ़ैलाओ हदें मस्तिष्क की,
ज्ञान को कब तक संकुचित रखोगे.
रती के मोह मे ,कब तक बहोगे.
स्पर्श से बढ़ी भी अनुभूति है,
एक ही अहसास पर कब तक जियोगे.
वक्ष और योनि से हटकर देखो
स्त्री मे अंग से परे भी कुछ है,
विस्त्रत करो सीमायें आंखो की,
दिशा बोध से कब तक वन्चित रहोगे.
तन से शुरु और तन पे समाप्त,
हर विचार कि इतनी हि परिधि है,
फ़ैलाओ हदें मस्तिष्क की,
ज्ञान को कब तक संकुचित रखोगे.
Thursday, September 21, 2006
मैं
There are two मैं in this verse the first one is me and the one in quotes is my ego.
मैं जब 'मैं' था,तो सब मैं था,
ईश मैं, न्रप मैं, जग मैं जगदीश मैं,
सब मैं था.
मैं जब 'मैं' था,तो सब मैं था,
When I was egoistic,every thing in the world was me.
मैं जब 'मैं' था,तो बस मैं था,
था भीड़ मैं मगर तन्हा मैं था
मैं जब 'मैं' था,तो बस मैं था,
But I was alone.The word सब changes to बस
मैने जब 'मैं' को तोडा,
ईर्श्या के पाश को छोडा,
सब हो गये मेरे अपने,
मैने सब को खुद से जोडा.
मैने जब 'मैं' को तोडा,
When I broke my ego,my jealousy. I found that everyone accepted me
स्व्च्छंद विचार,असीम आनंद,
सभी सुखों से रम हूं
मैं आज हम हूं.
मैं आज हम हूं.
मैं जब 'मैं' था,तो सब मैं था,
ईश मैं, न्रप मैं, जग मैं जगदीश मैं,
सब मैं था.
मैं जब 'मैं' था,तो सब मैं था,
When I was egoistic,every thing in the world was me.
मैं जब 'मैं' था,तो बस मैं था,
था भीड़ मैं मगर तन्हा मैं था
मैं जब 'मैं' था,तो बस मैं था,
But I was alone.The word सब changes to बस
मैने जब 'मैं' को तोडा,
ईर्श्या के पाश को छोडा,
सब हो गये मेरे अपने,
मैने सब को खुद से जोडा.
मैने जब 'मैं' को तोडा,
When I broke my ego,my jealousy. I found that everyone accepted me
स्व्च्छंद विचार,असीम आनंद,
सभी सुखों से रम हूं
मैं आज हम हूं.
मैं आज हम हूं.
Wednesday, September 06, 2006
Some Triplets
कयीं बार इस राह से गुजरा हूँ ,
कयीं बार मुढ़ के देखा है,
वो अह्सास तुम्हारा,सिर्फ़ एक दोख़ा है.
न जाने क्यों राहें बिछ्ड्ती हैं,
न जाने क्यों दोराहे आते हैं ,
ता-उम्र के वादे पल मे टूट जाते हैं.
क्या कहूं अब भी अह्सास मिट्ता नहीं,
क्या कहूं अब भी शोले दहकतें हैं,
मिलने के सबब की तलाश मैं.
कयीं बार मुढ़ के देखा है,
वो अह्सास तुम्हारा,सिर्फ़ एक दोख़ा है.
न जाने क्यों राहें बिछ्ड्ती हैं,
न जाने क्यों दोराहे आते हैं ,
ता-उम्र के वादे पल मे टूट जाते हैं.
क्या कहूं अब भी अह्सास मिट्ता नहीं,
क्या कहूं अब भी शोले दहकतें हैं,
मिलने के सबब की तलाश मैं.
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