विरानों की आदत सी हो गयी है
मैं अब आवाजों से डरता हूँ ॥
कट गया अपनी जड़ो से कब से
मैं अब रिवाजों से डरता हूँ ॥
हर दस्तक पर सोचता हूँ रकीब न हो
मैं अब दरवाजों से डरता हूँ ॥
मैं अब आवाजों से डरता हूँ ॥
कट गया अपनी जड़ो से कब से
मैं अब रिवाजों से डरता हूँ ॥
हर दस्तक पर सोचता हूँ रकीब न हो
मैं अब दरवाजों से डरता हूँ ॥