लफ़्ज़ तंग है, हौंठ खामोश
अपने अहसास को फ़िर कैसे बयां करूं
वो आया ज़िंदगी मे कुछ इस तरह
लगता है रोशन यह जहाँ करूं
वो पहली चीख ने उसकी, मुझे कामरान बना दिया
उस लम्हे को अब मैं रोज़ जिया करूं
छोटी उंगलियों से जब उसने छुआ मुझे
लगा दूर जमाने की तल्खियां करूं
उसने हमें एक नया आयाम दिया है
ना जाने कैसे उसका शुक्रिया करूं
वो इस तरह अपना बन गया
हर बशर को मैं पराया करूं
खुदा उसे बा सेहत उम्र दराज़ करे
मैं हर पल बस यही दुआँ करूं