Thursday, August 26, 2010

Our Baby

लफ़्ज़ तंग है, हौंठ खामोश
अपने अहसास को फ़िर कैसे बयां करूं

वो आया ज़िंदगी मे कुछ इस तरह
लगता है रोशन यह जहाँ करूं

वो पहली चीख ने उसकी, मुझे कामरान बना दिया
उस लम्हे को अब मैं रोज़ जिया करूं

छोटी उंगलियों से जब उसने छुआ मुझे
लगा दूर जमाने की तल्खियां करूं

उसने हमें एक नया आयाम दिया है
ना जाने कैसे उसका शुक्रिया करूं

वो इस तरह अपना बन गया
हर बशर को मैं पराया करूं

खुदा उसे बा सेहत उम्र दराज़ करे
मैं हर पल बस यही दुआँ करूं

Friday, August 20, 2010

पथिक

अब चलें अपनी राह
बहुत हुआ निर्देशित प्रवाह

ना जाने कहां विचरते रहे
अंजान वादीयों मे घूमते रहे
बिना किसी उद्देश्य के
चलती रही राह

सराय को घर समझने की
भूल होती रही अब तक
सहवासी अपने लगने लगे
रुक गया प्रवाह

अब हुआ अहसास, हूँ मे पथिक
निरंतर चलना ही मेरा कर्म है
पाकर रहूँगा लक्ष्य मेरा
हो चांहे कठिनांईया अताह