Tuesday, November 02, 2010

CWG 2010

पैसा लील गया खेल को
पीछे रह गये खिलाडी
बिना दौडे ही जीत गये
स्वर्न पदक कलमाडी

घोटलों का घोटाला है
राष्ट्र मंडल खेल
मुनाफ़े मे नेता गण
घाटे में भारतीय रेल

सबने खाया अपना हिस्सा
खुले आम थी लूट
वो कहतीं है मैं सच्ची हूँ
सब जाने है झूठ

शर्मसार देश हुआ
उनका झोला भारी
एक दूजे पे ढोलते रहे
वो अपनी जिम्मेवारी

लालच ने इंसान की
ऐसी मती मारी
गढ़े धन की खोज में
खुद गयी दिल्ली सारी

जिनको कुछ नही मिला
वो कर रहे हैं शोर
अपने हिस्से की चाह में
लगा रहें हैं जोर

जलती आग में विपक्ष
सेंक रहा है रोटी
अपने शासन में नही हुआ
ये कैसी किसमत फ़ूटी

जनता निपुंसक है वो
क्या कर लेगी
खबर पढेगी चाय के साथ
और काम पे चल देगी

एक और घोटाला होगा
लोग पुराना भूल जायेंगे
नेता खाते थे, खाते हैं
और खाते जायेंगे