सब शांत है यहाँ, ना जाने दिल क्यूँ बे-करार है
पहली बार मुझे शायद तूफान का इंतेज़ार है ||
दिल को कैसे समझाऊं की सब ठीकही होगा
सर पर लटकी जब अनिश्चता की तलवार है ||
कौन जाने ऊण्ट किस करवट बैठेगा
उसकी हरकत पर टिकी नज़ारे हज़ार है ||
अफवाओ का बाज़ार गर्म है
सबका अपना अलग विचार है ||
चुप रहो और तमाशा देखो
यही मेरी गुहार है ||