लोग कहते है वो खुबसूरत नहीं,
ना जाने वो क्या देखते हैं ।
मन की नज़र से देखो तो जानो,
कि हम क्या देखते है ॥
हिज़ाब के दायरे मे, सब होता है,
सब हमें, हम उन्हें देखते है ॥
जवानी का मोढ,कुछ ऐसा ही है,
वो ख्वाब ज्यादा,सच कम देखते है ॥
इसमे आईने की कुछ खता नही,
जो देखना चाहें, हम वो देखते है ॥
No comments:
Post a Comment