Wednesday, June 27, 2007

Ghazal No.7

लोग कहते है वो खुबसूरत नहीं,
ना जाने वो क्या देखते हैं ।

मन की नज़र से देखो तो जानो,
कि हम क्या देखते है ॥

हिज़ाब के दायरे मे, सब होता है,
सब हमें, हम उन्हें देखते है ॥

जवानी का मोढ,कुछ ऐसा ही है,
वो ख्वाब ज्यादा,सच कम देखते है ॥

इसमे आईने की कुछ खता नही,
जो देखना चाहें, हम वो देखते है ॥

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