Thursday, January 21, 2010

फ़िर एक और नया साल आयेगा

कल फ़िर एक और नया साल आयेगा ।
आज से ही हम उसके स्वागत मे लग जायेंगे ॥

हम ये पूरी कोशिश करेंगे कि
संगीत के शोर मे हम उन चीखों को भुला दें ।
सिगरेट के धुएँ से हम उन तस्वीरों को धुन्धला कर दें ॥
मय के नशे मे उन यादों को उन ज़ख्मों को भुला दें ॥

और फ़िर तय्यार हो जायें नये साल के लिये ।

शायद इसमे कुछ गलत भी नही, शायद मैं भी यही करूंगा
मगर अब वक्त आ गया है इन ज़ख्मो को याद रखने का
उसे दिल मे संभाल के रखने का ।

बस यही कामना है कि ॥

संगीत के शोर से चीखों दबे ना,
सिगरेट के धुएँ से तस्वीरों और गहरी हों,
मय के नशे से ज़ख्म भूले ना ।


इसी कामना के साथ आपको और आपके परिवार को
नये वर्ष कि शुभकामनाएँ

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