हर पल गीत यही गाऊँ
रुकूँ कि चले जाऊँ
नाम तो अच्छा है
पर काम कहाँ से लाऊँ
कब तलक अपने नाखुन
चबाऊँ
हर पल गीत यही गाऊँ
रुकूँ कि चले जाऊँ
औदा तो कमाल का है
साथ मे पैसा नही पाऊँ
अपनी आमदनी सबको बताते
शर्माऊँ
हर पल गीत यही गाऊँ
रुकूँ कि चले जाऊँ
संगी साथी सच्चे हैं
सच्चा अधिकारी कहां से लाऊँ
उसकी कूटनिति से मैं बहुत
घबराऊँ
हर पल गीत यही गाऊँ
रुकूँ कि चले जाऊँ
उनकी विक्रत मनसिकता से ग्रस्त
मेरी प्रवर्ती को कैसे बचाऊँ
जी करता है बहुत हुआ
अब चले जाऊँ
अब हर पल गीत यही गाऊँ
कब जाऊँ कहाँ जाऊँ
कब जाऊँ कहाँ जाऊँ
1 comment:
Is this written for specific grp of ppl :) I could not restrain my curiosity to read this due to its title
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